पर ऐसे महान व्यक्तित्व को शत - शत नमन
खून हमे दो, आजादी लो ' - यह सुभाष की वाणी है ,
अंकित है इतिहास पटल पर,केवल नहीं कहानी है !
दुश्मन कुटिल आवरण ओढ़े घुस आया है आँगन में,
गले लगाकर छुरा भोंकना उसकी चाल पुरानी है !
गले लगाकर छुरा भोंकना उसकी चाल पुरानी है !
आस्तीन में छुपे सांप हैं आओ इन्हें तलाश करें
ढूँढ-ढूँढ कर कुचलें विषधर ऐसी अबकी ठानी है !
ढूँढ-ढूँढ कर कुचलें विषधर ऐसी अबकी ठानी है !
व्यक्ति,धर्म का स्वार्थ देखना राष्ट्र-द्रोह से कम है क्या,
बच्चा-बच्चा मातृभूमि का जहाँ रहा अभिमानी है !
बच्चा-बच्चा मातृभूमि का जहाँ रहा अभिमानी है !
मर मिटने की आज जरूरत माँ का आँचल गीला है,
आज देश के लिए उठें वो जिनकी आँख में पानी है !
आज देश के लिए उठें वो जिनकी आँख में पानी है !
रचनाकार ----- प्रो. विश्वम्भर शुक्ल