माँ-बाप से है न कोई बड़ा
कैसे रहते हो तुम खुश हरेक हाल में ।
फूल बोला कि खुश्बू लुटाता हूँ मैं ,
जब कि रहता हूँ काँटों के जँजाल में ॥
प्यार जिससे करो डूब करके करो,
एक न एक दिन तुम्हें यार मिल जायेगा,
खिड़कियाँ, झिडकियां, सिसकियाँ,
हिचकियाँ सारे सपनों का संसार मिल जायेगा,
एक दिन पेड़ से पँछियों ने कहा-
कैसे रहते हो तुम खुश हरेक हाल में।
पेड़ बोला- कि मिलता मुझे इसमें सुख –
बाँट देता हूँ जो फल लगें डाल में ॥
प्यार करना यहाँ जितना आसान है,
उतना मुश्किल निभाना है इस दौर में,
और निभ भी न पाये तो कोशिश करो,
ना पडे गाँठ इस प्यार की डोर में,
एक दिन हौंठ से आँख ने ये कहा-
मुस्करा कैसे लेते हो हर हाल में ।
हौंठ बोले-है कोशिश किसी आँख से
कोई आंसू न आये नये साल में ॥
ज़िन्दगी उसकी बे रँग हो जायेगी,
रँग फूलों से जिसने चुराया नहीं,
वो रहेगा सुखी जिसने मेहमान का
अपने घर में कभी दिल दुखाया नहीं,
एक दिन मैंने मन्दिर में पूछा –
प्रभो, आप से भी बड़ा कौन कलि काल में ।
बोले-माँ-बाप से है न कोई बड़ा ,
सब चढा दो वहाँ जो रखा थाल में ॥
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