हिंदी साहित्य के चमकते सितारे
एवं राष्ट्रीय जनजागरण की कवि
पं. बंशीधर शुक्ल की जयंती पर
उनको सादर शत-शत नमन
आप की दो रचनायें हिन्दोस्तान के जनमानस में खूब प्रचारित हुई जिसमें एक रचना नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज का मार्च गीत बनी तो दूसरी बापू के सबरमती आश्रम की प्रातः काल की प्रार्थना ।
आज़ाद हिंद फ़ौज का मार्च गीत
कदम कदम बढाये जा
खुशी के गीत गाये जा
ये जिंदगी है कौम की
तू कौम पर लुटाये जा
उडी तमिस्र रात है , जगा नया प्रभात है,
चली नयी जमात है, मानो कोइ बरात है,
समय है मुस्कराये जा
खुशी के गीत गाये जा
ये जिंदगी है कौम की
तू कौम पर लुटाये जा।
जो आ पडे कोइ विपत्ति मार के भगाये गे,
जो आये मौत सामने तो दांत तोड लायेंगे,
बहार की बहार में,
बहार ही लुटाये जा।
कदम कदम बढाये जा
खुशी के गीत गाये जा,
जहाम तलक न लक्ष्य पूर्ण हो समर करेगे हम,
खडा हो शत्रु सामने तो शीश पै चडेगे हम,
विजय हमारे हाथ है
विजय ध्वजा उडाये जा
कदम कदम बढाये जा
खुशी के गीत गाये जा
कदम बढे तो बढ चले आकाश तक चढेंगे हम
लडे है लड रहे है तो जहान से लडेगे हम,
बडी लडाईया है तो
बडा कदम बडाये जा
खुसी के गीत गाये जा
निगाह चौमुखी रहे विचार लक्ष्य पर रहे
जिधर से शत्रु आ रहा उसी तरफ़ नज़र रहे
स्वतंत्रता का युद्ध है
स्वतंत्र होके गाये जा
कदम कदम बढाये जा
खुशी के गीत गाये जा
ये जिंदगी है कौम की
तू कौम पर लुटाये जा।
साबरमती आश्रम का प्रार्थना गीत
उठ जाग मुसाफ़िर भोर भई
अब रैन कहा जो सोवत है
जो सोवत है सो खोवत है
जो जागत है सो पावत है
उठ जाग मुसाफ़िर भोर भई
अब रैन कहा जो सोवत है
टुक नींद से अंखियां खोल जरा
पल अपने प्रभु से ध्यान लगा
यह प्रीति करन की रीति नही
जग जागत है तू सोवत है
तू जाग जगत की देख उडन,
जग जागा तेरे बंद नयन
यह जन जाग्रति की बेला है
तू नींद की गठरी ढोवत है
लडना वीरों का पेशा है
इसमे कुछ भी न अंदेशा है
तू किस गफ़लत में पडा पडा
आलस में जीवन खोवत है
है आज़ादी ही लक्ष्य तेरा
उसमें अब देर लगा न जरा
जब सारी दुनियां जाग उठी
तू सिर खुजलावत रोवत है
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