Monday, December 2, 2019


-#- सुप्रभात -#-·
अपने पौरूष से आसमान झुका सकते हैं ;
मरूस्थलों में फूल मन के खिला सकते हैं |
बैसाखियॉ भाग्य की लेकर नहीं चलने वाले-
महल आशाओं के हाथों पर सजा सकते हैं ||
        
                  ----- कौशल किशोर वर्मा