प्रख्यात साहित्यकार, लेखक एवं गीतकार सियाराम मिश्र की अवधी भाषा की कृति
"गायेन, जस देखेन"
की
पुस्तक समीक्षा द्वारा दिनेश सांकृत्यायन
पंडित सियाराम मिश्र जी की कृति महासभा, बेर भीलनी के, गायन जस देखेन, धूप करे हस्ताक्षर, पर उन्हें उप्र हिंदी साहित्य संस्थान ने चार बार और साहित्य सम्मेलन प्रयाग ने दो बार सम्मानित किया। वह दूरदर्शन और आकाशवाणी के सुपरिचित कवि भी रहे। उनकी रचना आंगन की नागफनी, पंचवटी से कर्बला, दहेज बत्तीसी, स्टालिन ग्राद, हिरोशिमा, हजरत इमाम हुसेन, जटायु, भारत की विभूतियां, भारत के सबूत, वेदना, अनामा, तुतलाय गुलाबन के कलिका प्रकाशित हो चुकी है। महात्मा बुद्ध का एकांत, बिजुरी कौंध गई, महाकाव्य मां गीत संग्रह भारत के वैज्ञानिक अभी अप्रकाशित हैं।
https://bhartiyabasti.com/article/9897/siyaram-mishra-the-priceless-masterpiece-in-awadhi-is-gayen-jes-dekhen
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