जिंदगी
चक्र समय का
चलता है अनवरत
लोग बिछुड़ जाते हैं
रह जाती हैं स्मृतियाँ
लेकिन जीवन रुकता नहीं
मिल जाते है नये लक्ष्य
नवीन प्रेरणा, नये संकल्प
नयी सृष्टि, नयी दृष्टि
नया सृजन, नया जीवन
और हम बढ़ जाते हैँ
अपने कर्मपथ पर
पुन: खो जाते है दुनिया की भीड़ में
शायद इसी का नाम जिंदगी है।
-------- मनोज मिश्र