प्रेम और शांति
अगर हमें दुनिया में सच्ची शांति प्राप्त करनी है और अगर हमें युद्ध के विरुद्ध लड़ाई लड़नी है तो हमें बालकों से इसका आरंभ करना होगा, और अगर बालक अपनी स्वभाविक निर्दोषता के साथ बड़े होंगे, तो हमें संघर्ष नहीं करना पड़ेगा,, हमें निष्फल और निरर्थक प्रस्ताव पास नहीं करने पड़ेगे। बल्कि हम प्रेम से अध्कि प्रेम की ओर
और शांति से अधिक शांति की ओर बढ़ेंगे। यहाँ तक कि अंत में दुनिया के चारों कोने उस प्रेम और शांति से
भर जाएँगे, जिसके लिए आज सारी दुनिया जाने या अनजाने तरस और तड़प रही है।
'यंग इंडिया' 19-11-1931
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